Table of Contents
- Raghupati Raghav Raja Ram (रघुपति राघव राजाराम)
- Ram Siya Ram (राम सिया राम)
- हम राम जी के राम जी हमारे है
- राम नाम राम नाम की लूट मची है
- Ram Naam Sukhdayi (राम नाम सुखदाई)
- Shree Ram Chalisa (श्री राम चालीसा)
- Tera Ramji Karenge Beda (तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार)
- He Rom Rom Mein Basane Wale Ram (हे रोम रोम में बसने वाले राम)
- Thumak Chalat Ramchandra (ठुमक चलत रामचंद्र)
Raghupati Raghav Raja Ram (रघुपति राघव राजाराम)
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
सीताराम सीताराम,
भज मन प्यारे सीताराम
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
ईश्वर अल्लाह तेरो नाम,
सब को सन्मति दे भगवान
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
जय रघुनंदन जय सिया राम
जानकी वल्लभ सीताराम
रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
सीताराम सीताराम,
भज मन प्यारे सीताराम
रघुपति राघव राजाराम,
पतित पावन सीताराम
Ram Siya Ram (राम सिया राम)
कौशल्या, दशरथ के नंदन
राम ललाट पे शोभित चन्दन
रघुपति की जय बोले लक्ष्मण
राम सिया का हो अभिनन्दन
अंजनी पुत्र पड़े हैं चरण में
राम सिया जपते तन मन में
मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी
राम सिया राम सिया राम
जय जय राम
राम सिया राम सिया राम
जय जय राम
राम सिया राम सिया राम
जय जय राम
राम सिया राम सिया राम
जय जय राम
मेरे तन मन धड़कन में
सिया राम राम है
मन मंदिर के दर्पण में
सिया राम राम है
तू ही सिया का राम
राधा का तू ही श्याम
जन्मो जनम का ही ये साथ है...Read More
हम राम जी के राम जी हमारे है
म राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं। ।
मेरे नयनो के तारे हैं
सारे जग के रखवारे हैं। ।
मेरे तो प्राण अधारे हैं
सब भगतन के रखवारे हैं। ।
जो लाखो पापीओं को तारे हैं
जो अघमन को उधारे हैं। ।
हम इनके सदा सहारे हैं
हम उनकी शरण पधारे हैं। ।
गणिका और गीध उधारे हैं
हम खड़े उन्ही के द्वारे हैं। ।
राम नाम राम नाम की लूट मची है
राम नाम राम नाम की लूट मची है,
लूट लो राम के नाम को
हाथ जोड़कर सर को झुकाओ,
नमन करो सुखधाम को।
श्रद्धा के भूखे प्रभु, प्यासे भावो के
रक्षा करेंगे-रक्षक है, डूबती नावों के
रिझालो इनको तुम, मना लो इनको तुम
मिटा दें गे ये गम उनके, पुकारे इनको जो दिल से
दौड़ पड़ेंगे, जब भी पुकारो, देकर प्यार के दाम को
राम नाम की……
राम नाम से हो पावन, मन का हर कोना
जैसे पारस लोहे को, कर देता सोना
सभी संकट कटे, घटा गम की छटे
प्रभु के चरणों मे बैठो, जरा सा ध्यान लगाओ तुम
राम नाम है, सबसे साँचा, जपलो तुम इस नाम को
राम नाम की…….
भक्तो पर जब भीड़ पड़ी, बड़ा है जब जब पाप
आये धरती पर प्रभु, काटने सब सन्ताप
जपो बस राम नाम, बनेंगे बिगड़े काम
किरपा जब इनकी हो जाये, तो कालिया सुख की खिल जाए
राम बिकेंगे, तुम जो खरीदो, दे कर प्यार के दाम को
राम नाम की…..
Ram Naam Sukhdayi (राम नाम सुखदाई)
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
ये तन है जंगल की लकड़ी
ये तन है जंगल की लकड़ी
आग लगे जल जाइ, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
ये तन है कागज की पूडिया
ये तन है कागज की पूडिया
हवा चले उड़ जाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
ये तन है माटी का ढेला
ये तन है माटी का ढेला
बूँद पड़े गल जाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
ये तन है फूलो का बगीचा
ये तन है फूलो का बगीचा
धूप पड़े मुरझाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
ये तन है कच्ची है हवेली
ये तन है कच्ची है हवेली
पल मे टूट जाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
ये तन है सपनो की माया
ये तन है सपनो की माया
आँख खुले कुछ नाही, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
राम नाम सुखदाई भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
राम नाम सुखदाई, भजन करो भाई
ये जीवन दो दिन का
Shree Ram Chalisa (श्री राम चालीसा)
श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥
ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥
दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥
तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥
तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥
ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥
चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥
गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥
नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥
राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥
गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥
शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥
फूल समान रहत सो भारा। पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥
भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुं न रण में हारो॥
नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥
लखन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥
ताते रण जीते नहिं कोई। युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥
महालक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥
सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥
घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥
सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्घि चरणन में लोटत॥
सिद्घि अठारह मंगलकारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥
औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥
इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥
जो तुम्हे चरणन चित लावै। ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥
जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥
सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥
सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥
सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥
सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥
तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥
जो कुछ हो सो तुम ही राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥
राम आत्मा पोषण हारे। जय जय दशरथ राज दुलारे॥
ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जगपति भूपा॥
धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥
सत्य शुद्घ देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥
सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन॥
याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥
आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिर मेरा॥
और आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावे सोई॥
तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥
साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्घता पावै॥
अन्त समय रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥
श्री हरिदास कहै अरु गावै। सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥
॥ दोहा॥
सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।
हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥
राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।
जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय॥
।।इतिश्री प्रभु श्रीराम चालीसा समाप्त:।।
Tera Ramji Karenge Beda (तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार)
राम नाम सोहि जानिये,
जो रमता सकल जहान
घट घट में जो रम रहा,
उसको राम पहचान
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,
उदासी मन काहे को करे ।
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,
उदास मन काहे को करे ।
काहे को करे रे, काहे को करे,
काहे को करे, काहे को करे..
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,
उदासी मन काहे को करे रे ।
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,
उदासी मन काहे को करे ।
काहे को करे रे, काहे को करे,
काहे को करे, काहे को करे..
नैया तेरी राम हवाले,
लहर लहर हरि आप सँभाले ।
नैया तेरी राम हवाले,
लहर लहर हरि आप संभालें ।
हरि आप ही उठावे तेरा भार,
उदास मन काहे को करे ॥
॥ तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार...॥
काबू में मँझधार उसी के,
हाथों में पतवार उसी के ।
काबू में मँझधार उसी के,
हाथों में पतवार उसी के ।
तेरी हार भी नहीं है तेरी हार,
उदासी मन काहे को करे ॥
॥ तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार...॥
सहज किनारा मिल जायेगा,
परम सहारा मिल जायेगा ।
सहज किनारा मिल जायेगा,
परम सहारा मिल जायेगा ।
डोरी सौंप के तो देख एक बार,
उदास मन काहे को करे ॥
॥ तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार...॥
तू निर्दोष तुझे क्या डर है,
पग पग पर साथी ईश्वर है ।
तू निर्दोष तुझे क्या डर है,
पग पग पर साथी ईश्वर है ।
जरा भावना से कीजिये पुकार,
उदास मन काहे को करे ॥
॥ तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार...॥
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,
उदासी मन काहे को करे ।
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,
उदास मन काहे को करे ।
काहे को करे रे, काहे को करे,
काहे को करे, काहे को करे..
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,
उदासी मन काहे को करे रे ।
तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार,
उदासी मन काहे को करे ।
He Rom Rom Mein Basane Wale Ram (हे रोम रोम में बसने वाले राम)
रोम रोम में बसने वाले राम,
जगत के स्वामी,
हे अन्तर्यामी,
मैं तुझ से क्या मांगू,
हे रोम रोम में बसने वाले राम।।
आस का बंधन तोड़ चुकी हूँ,
तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूँ,
नाथ मेरे मैं क्यूँ कुछ सोचूँ,
नाथ मेरे मैं क्यूँ कुछ सोचूँ,
तू जाने तेरा काम,
जगत के स्वामी,
हे अन्तर्यामी,
मैं तुझ से क्या मांगू,
मैं तुझ से क्या मांगू,
हे रोम रोम में बसने वाले राम।।
तेरे चरण की धुल जो पायें,
वो कंकर हीरा हो जाए,
भाग्य मेरे जो मैंने पाया,
इन चरणों मे ध्यान,
तू जाने तेरा काम,
जगत के स्वामी,
हे अन्तर्यामी,
मैं तुझ से क्या मांगू,
मैं तुझ से क्या मांगू,
हे रोम रोम में बसने वाले राम।।
भेद तेरा कोई क्या पहचाने,
जो तुझ सा हो वो तुझे जाने,
तेरे किये को हम क्या देवे,
तेरे किये को हम क्या देवे,
भले बुरे का नाम,
जगत के स्वामी,
हे अन्तर्यामी,
मैं तुझ से क्या मांगू,
मैं तुझ से क्या मांगू,
हे रोम रोम में बसने वाले राम।।
हे रोम रोम में बसने वाले राम,
जगत के स्वामी,
हे अन्तर्यामी,
मैं तुझ से क्या मांगू,
हे रोम रोम में बसने वाले राम।।
Thumak Chalat Ramchandra (ठुमक चलत रामचंद्र)
ठुमक चलत रामचंद्रा
ठुमक चलत रामचंद्रा
बाजत पैंज़ानियाँ
किलकी किलकी उठट गिरत भूमि लटपटाय
धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां
ठुमक चलत रामचंद्रा
ठुमक चलत रामचंद्रा
बाजत पैंज़ानियाँ
आँचल राज अंग झारी विविध भाँति सो दुलारी
टन मान धन वारी वारी कहट मृदु बचनियाँ
ठुमक चलत रामचंद्रा
ठुमक चलत रामचंद्रा
बाजत पैंज़ानियाँ
विद्रुम से अरुण आधार बोलत मुख मधुर मधुर
सुभग नासिका में चारू लटकत लटकनियाँ
ठुमक चलत रामचंद्रा
ठुमक चलत रामचंद्रा
बाजत पैंज़ानियाँ
तुलसीदास आती आनंद देख के मुखारविंद
रघुवर छबि के समान रघुवर छबि बनियां
ठुमक चलत रामचंद्रा
ठुमक चलत रामचंद्रा
बाजत पैंज़ानियाँ